मीडिया और जनता को इस अति गंभीर विषय पर चर्चा जरुर करना चाहिए...

खैरागढ़ : 4 सितंबर 2023 तमिलनाडु के खेल मंत्री उदयनिधि स्टालिन ने सनातन धर्म को डेंगू, मलेरिया और कोरोना से भी खतरनाक बताया। और कहा कि मच्छर, डेंगू, फीवर, मलेरिया और कोरोना ये कुछ ऐसी चीजें हैं, जिनका केवल विरोध नहीं किया जा सकता, बल्कि उन्हें खत्म करना जरूरी होता है। उनकी इस बात बरसो पुरानी इस बहस को नया जीवन मिल गया.  

इसके कुछ दिन बाद आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने 7 सितंबर 2023 को नागपुर में कहा कि हमने अपने ही साथी मनुष्यों से 2000 साल तक पशुओं जैसा व्यवहार किया और उनकी मानवता की परवाह किये बगैर ऊंच-नीच आदि के माध्यम से सामाजिक व्यवस्था में पीछे रखा। जब तक हम उन्हें समानता प्रदान नहीं करते, तब तक कुछ विशेष उपाय करने होंगे और आरक्षण उनमें से एक है। इसलिए आरक्षण तब तक जारी रहना चाहिए जब तक ऐसा भेदभाव हो। यह केवल वित्तीय या राजनीतिक समानता सुनिश्चित करने के लिए नहीं, बल्कि सम्मान देने के लिए भी है। कम से कम उन्हें 200 साल तक तो आरक्षण देना ही चाहिए।

 विश्लेषण - दोनों पक्ष, हिंदू और सनातन धर्म के अंतर्गत आते हैं। उदयनिधि का कद मोहन भागवत से बड़ा नहीं है। आरएसएस, केन्द्र सरकार और भाजपा की जन्मदाता है। उदयनिधि ने असंयम का परिचय दिया है। वो हिन्दू परम्परा में व्याप्त वर्ण व्यवस्था के गहरे भेदभाव को लेकर बोल रहे थे, चूंकि वे राजनीतिक व्यक्ति हैं, सबको एक लाठी से हांकना ठीक नहीं. देश के वातावरण में अच्छी-बुरी दोनों चीजें हैं, जिन्हें ठीक किया जाना जरूरी है. इस पुरे प्रकरण पर मोहन भागवत के बयान में समाज में सदियों से व्याप्त बुराई को दूर करने वाली बात पर गहरे बहस से समझ सकते हैं।  

जिस भी देश-समाज और धर्म-परंपरा में मनुष्य में भेदभाव होता है, वह शीर्ष पर नहीं पहुंच सकता। यह भेदभाव, कोढ़ बीमारी और एचआईवी से भी बदतर होता है, जो अब तक लाइलाज है। ऐतिहासिक संदर्भ में भारतीय समाज ने विश्व के सभी धर्म को समुचित आदर दिया है, और हर जटिल विषयों पर विमर्श हुआ है। आधुनिक दुनिया में जात-पात, ऊंच-नीच की बीमारी और सभी समस्याओं की जड़ तो मानसिकता और प्रणाली में है। इसका इलाज संविधान में है जिसे अब तक ईमानदारी से इंप्लीमेंट ही नहीं किया जा रहा है।