विशद कुमार


महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय, वर्धा (महाराष्ट्र) के दलित शोधार्थी रजनीश कुमार अम्बेडकर अपनी पीएचडी सबमिशन के लिए धरने पर है। रजनीश अम्बेडकर का आरोप है कि विभागाध्यक्ष व विश्वविद्यालय प्रशासन जानबूझकर उनका पीएचडी न करके उन्हें परेशान करना चाहता है। जबकि शोधार्थी ने 10 माह पूर्व ही अपना प्री पीएचडी सबमिशन कर दिया था। लेकिन विभागाध्यक्ष ने प्री पीएचडी सबमिशन के बाद शोध प्रबंध को मूल्यांकन के लिए न भेजकर 3 महीने बाद उनका गाइड बदलने की प्रक्रिया अपनाई। जबकि नियमानुसार प्री सबमिशन के 15 दिन के अंदर शोध प्रबंध को मूल्यांकन के लिए भेज देना चाहिए। वही विभागाध्यक्ष का कहना है कि कोई भी रिटायर्ड प्रोफेसर पीएचडी सबमिशन नही करवा सकता है। लेकिन वर्धा विश्वविद्यालय सहित अन्य विश्वविद्यालयों में रिटायर्ड प्रोफेसरों के नाम पर पीएचडी सबमिशन किया गया है। स्वयं महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय में भी प्रो. मनोज कुमार सहित अन्य प्रोफेसरों ने रिटायर्ड होने बाद भी पीएचडी सबमिशन करवाया है।

दलित शोधार्थी रजनीश कुमार अम्बेडकर का मानना है कि उनके दलित होने की वजह उनके साथ भेदभाव किया जा रहा है। इसलिए शोधार्थी 27 मार्च से विश्वविद्यालय के प्रशासनिक भवन पर अनिश्चितकालीन धरने पर बैठे हुए है। रामनवमी के अवसर का लाभ उठाकर विश्वविद्यालय प्रशासन की सह पर ABVP और बजरंग दल के लोगों द्वारा दलित शोधार्थी के आंदोलन को खत्म करने के लिए साजिश रची जाती है और 31 मार्च की रात्रि में दलित शोधार्थी के आंदोलन को समाप्त करवाने की नीयत से ABVP संगठन व बजरंग दल के गुण्डों द्वारा दलित शोधार्थी रजनीश कुमार अम्बेडकर व अन्य साथियों पर जानलेवा हमला किया जाता है। जिसमें अंतस सर्वानंद और विवेक को गंभीर चोंटे आती है। जिला अस्पलात से दोनों ही छात्रों को सावंगी मेघे मेडिकल यूनिवर्सिटी में रेफर कर दिया जाता है। अंतस सर्वानंद के सिर पर गंभीर चोट होने की वजह से 10-12 घंटे तक बेहोशी की हालत में होते हैं। अभी भी दोनों लोग वर्धा स्थित सावंगी मेघे मेडिकल यूनिवर्सिटी में एडमिट है। विश्वविद्यालय प्रशासन की तरफ से घायल छात्रों का हालचाल लेने की बजाय उल्टा घायल छात्रों को ही कारण बताओ नोटिस जारी कर दी जाती है। विश्वविद्यालय प्रशासन के द्वारा अभी भी ABVP व बजरंग दल के लोंगों पर कोई कार्यवाही नही की गयी है। वर्धा पुलिस प्रशासन भी FIR लिखने की बजाय ABVP व बजरंग दल के गुंडों का साथ दे रहा है। जानकारी के लिए आपको बताते चले कि वर्तमान में महाराष्ट्र में बीजेपी की सरकार है। वर्धा जिला में भी बीजेपी पार्टी के विधायक व सांसद प्रतिनिधि है। बीजेपी पार्टी के सांसद की बेटी विश्वविद्यालय में गेस्ट फैकल्टी असिस्टेंट प्रोफेसर पद पर कार्यरत है। कुलपति रजनीश कुमार शुक्ला के वर्धा सांसद से नजदीकी संबंध सुनने को मिल रहे है। जिला प्रशासन के द्वारा लगातार धार्मिक भावना भड़काने के नाम पर आंदोलनकारी छात्रों पर उल्टा FIR लिखने की धमकी दी जा रही है। वही महाराष्ट्र सरकार के इशारों पर जिला प्रशासन व विश्वविद्यालय प्रशासन के द्वारा ABVP और बजरंग दल के गुण्डों को संरक्षण प्रदान किया जा रहा है।

बताते चलें कि महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय, वर्धा में पहले गोरख पांडेय छात्रावास का नाम बदला गया, फिर इसके बाद पीएचडी सबमिशन के लिए आन्दोलनरत दलित शोधार्थी रजनीश अम्बेडकर सहित अन्य छात्रों पर जानलेवा हमला करके रात्रि में ही जन कवि गोरख पांडे की प्रतिमा को विश्वविद्यालय प्रशासन की सह पर अराजक व गुंडा तत्वों द्वारा गायब कर दिया गया।

उल्लेखनीय है कि 31 मार्च की रात्रि लगभग 12 बजे जब आंदोलनकारी छात्रों पर हमला किया गया। उसी दौरान गोरख पांडे छात्रावास जिसका वर्तमान नाम शम्भा जी छात्रावास कर दिया गया है। छात्रावास में स्थापित जनकवि गोरख पांडे की प्रतिमा को गायब कर दिया जाता है। विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा अभी तक इसपर कोई भी कार्यवाही नही की गई है न ही प्रतिमा गायब करने वाले लोंगो की शिनाख़्त की गई है। जबकि छात्रावास में प्रतिमा स्थल के सामने सीसीटीवी कैमरा लगे हुए हैं। लेकिन इसके बावजूद भी विश्वविद्यालय प्रशासन मौन साधे हुए है। आपको बताते चले अप्रैल 2022 में ABVP के द्वारा विश्वविद्यालय प्रशासन को ज्ञापन दिया जाता है कि गोरख पांडे वामपंथी विचारधारा व राजनीति से जुड़े हुए थे। इन्होंने आत्महत्या कर ली थी। इसलिए इस गोरख पाण्डे छात्रावास का नाम बदलकर इसे शम्भा जी के नाम पर कर देना चाहिए। आम छात्रों की समस्यायों पर मूकदर्शक बनने वाला विश्वविद्यालय प्रशासन ABVP के पत्र को आधार बनाकर आम छात्रों की राय लिए बिना गोरख पांडे छात्रावास का नाम बदलकर शम्भा जी के नाम पर कर देता है। तभी से गोरख पांडे की प्रतिमा ABVP और विश्वविद्यालय प्रशासन की आंखों की किरकिरी बनी हुई थी। अंततः अब गोरख पांडे की प्रतिमा को गायब कर दिया गया है।

रामनवमी के मौके का लाभ उठाकर 31 मार्च की रात्रि को आंदोलनकारी, दलित, पिछड़े व प्रगतिशील छात्र संगठन के छात्रों पर जानलेवा हमला व उसी रात्रि में जनकवि गोरख पाण्डे की प्रतिमा को गायब किया जाना एक सोची समझी साजिश का हिस्सा जान पड़ता है। वहीं घायल व आंदोलनकारी छात्रों पर आस्था भड़काने का आरोप लगाते हुए विश्वविद्यालय प्रशासन की तरफ से नोटिस भेजी जाती है। पुलिस प्रशासन द्वारा घायल छात्रों की FIR तक नहीं लिखी जाती है। अभी भी दलित व आंदोलकारी छात्रों को खुलेआम धमकियां दी जा रही है कि यह तो रामनवमी का प्रसाद था, अभी हनुमान जयंती का भंडारा बाक़ी है।
बताते चलें महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय में कुलपति रजनीश शुक्ला के आने के बाद से ही 2019 में विश्वविद्यालय में 4-5 दलित छात्रों का कांशीराम की जयंती मनाने के आरोप में निष्कासन कर दिया गया था। वर्तमान में महिला सेल को भी निष्क्रिय कर दिया गया है। दलित सेल भी ठीक स्थिति में नहीं है। विश्वविद्यालय में लगातार एक विशेष धर्म व संस्कृति को बढ़ावा दिए जाने के नाम पर धार्मिक कार्यक्रम किये जा रहे हैं। जबकि विश्वविद्यालय सभी धर्मों के छात्रों के लिए समान होते हैं। यह विश्वविद्यालय महात्मा गांधी के नाम पर बनाया गया है। अगर महात्मा गांधी की वैचारिकी की ही बात करें तो महात्मा गांधी सर्व धर्म सम्भाव की बात करते थे। लेकिन कुलपति रजनीश शुक्ला महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय को आरएसएस (RSS) की पाठशाला बनाने पर तुला हुआ है। हिंदी माध्यम में स्त्री विमर्श और दलित विमर्श के लिए विख्यात इस विश्वविद्यालय में कुलपति के द्वारा होलिका दहन तक किया जाता है और होलिका दहन के कार्यक्रम में विश्वविद्यालय तमाम सीनियर प्रोफेसरों द्वारा हिस्सा भी लिया जाता है। 8 मार्च अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के दिन विश्वविद्यालय की छात्राओं को कैद तक कर दिया जाता है। जो बेहद ही शर्म की बात है। इसतरह से कुलपति रजनीश कुमार शुक्ला के द्वारा लगातार दलित छात्रों व महिलाओं के आत्मसम्मान व उनकी भावनाओं को आहत किया जा रहा है।
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