विशद कुमार


पटना के गांधी मैदान में बुधवार को आयोजित भाकपा (माले) की लोकतंत्र बचाओ - देश बचाओ रैली में माले महासचिव दीपांकर भट्टाचार्या ने कहा कि देश संकट में हैं. लोकतंत्र को बचाने के लिए व्यापक विपक्षी और वाम एकता समय की मांग है. सभी पार्टियां 2024 में देश की सत्ता से भाजपा को हटाने के लिए रैलियां कर रही है. कांग्रेस ने भी भारत जोड़ो अभियान शुरू किया है. यह जरूरी है क्योंकि इससे कांग्रेस मजबूत होगी, तो पूरे देश में एक नयी ऊर्जा का संचार होगा.

पीएम के लिए हैं कई चेहरे

दीपांकर ने कहा कि जहां तक विपक्षी एकता में प्रधानमंत्री के चेहरे को लेकर कभी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, तो कभी मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और राहुल गांधी प्रधानमंत्री को लेकर सवाल उठता है तो हमारा मानना है कि विपक्ष में कई चेहरा है. उनमें कई प्रधानमंत्री का चेहरा है. समय आने पर नाम भी सामने आयेगा. उन्होंने रैली में शामिल हुए सभी कार्यकर्ताओं से अपील किया है कि वह 2024 के चुनाव के लिए अभी से जुट जाये. पार्टी और महागठबंधन को पूरी ताकत से मजबूत करें, ताकि देश की सत्ता से भाजपा को हटाया जा सकें और बिहार में भाजपा को शून्य पर लाकर खड़ा कर दें.

सभी राज्यों में लागू करना होगा विपक्षी एकता का बिहार मॉडल

दीपंकर ने कहा बिहार में जिस तरह से भाजपा सत्ता से बेदखल हुई है. इसी मॉडल के तहत विपक्ष को एक होकर सभी राज्यों में विपक्षी एकता के बिहार मॉडल को लागू करना होगा. उन्होंने कहा कि गरीबों को लोकतंत्र चाहिए, लेकिन भाजपा राजतंत्र लाना चाहती है. इसी घमंड में कहती है कि 50 वर्षों तक सत्ता में रहेगी, लेकिन इस घमंड को जनता 2024 में तोड़ देगी. केंद्र सरकार गुजरात की सच्चाई को छुपा कर रखना चाहती है, लेकिन जब तक वहां की सच्चाई बाहर नहीं आयेगी. उस वक्त तक गुजरात की घटना को हमेशा दोहराया जायेगा. भाजपा में एक चेहरा और एक नेता है. इस कारण सभी जगह प्रधानमंत्री का ही चेहरा होता है. हम तो चाहते थे मृत्यु प्रमाण पत्र पर उनका ही चेहरा रहे.

सीमांचल पर भाजपा की नजर, 2014 में राम मंदिर ही रहेगा मुद्दा
दीपांकर भट्टाचार्य ने कहा कि सीमांचल पर भाजपा की नजर है. देश के गृह मंत्री अमित शाह वहां रैली करने पहुंच रहे हैं. हिंदु-मुस्लिम बांट कर वहां भी अपनी ताकत दिखाना चाहते है. ऐसे में जरूरत है कि उन इलाकों में सभी पार्टी कार्यकर्ता मजबूती से काम करें. 25 को महागठबंधन की रैली पूर्णिया में है. जिसमें सभी लोग पूरी ताकत से भागीदारी करें. आज देश में हालात ऐसे हैं कि रोजगार, शिक्षा, स्वास्थ्य पर काम नहीं होता है, लेकिन अयोध्या मामले में फैसला देने वालों को राज्यपाल बनाया जाता है. क्योंकि यह अमीरों की सरकार है. यहां गरीबों के लिए कोई जगह नहीं है. ऐसे में हमें और मजबूती से लड़ना होगा.


मंच पर कुर्सी नहीं मिलने से जमीन पर बैठ गये महबूब आलम और रामबली सिंह
भाकपा - माले विधायक दल के नेता महबूब आलम जब मंच पर पहुंचे, तो उनको बैठने के लिए कुर्सी नहीं मिली. वहीं, रामबली सिंह को भी कुर्सी नहीं मिली. थोड़ी देर घूमने के बाद दोनों नेता मंच पर पीछे जमीन पर बैठ गये. जमीन पर बैठने के बाद कुछ सदस्यों ने उन्हें उठाया पर नहीं उठे. थोड़ी देर के बाद दोबारा से जब उन्हें उठाकर आगे की कुर्सी पर बिठाया गया.

माले के राष्ट्रीय महासचिव दीपंकर भट्टाचार्य ने कहा कि हम सभी को सरकार के भरोसे नहीं रहना है बल्कि आत्मनिर्भर बनने की जरूरत है। आंदोलन की राह पर जाकर हम सरकार से अपनी बात मनवाएंगे। अपना अधिकार लेकर रहेंगे। प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार कौन होगा, इस पर उन्होंने कहा कि जब समय आएगा तब यह चेहरा साफ हो जाएगा।


उन्होंने कहा कि मोदी का आत्मनिर्भर नहीं बल्कि यह मोदी और अडाणी का भारत है। हर तरफ संकट ही संकट है। संकट से देश को बचाना है तो हमें एक होना होगा। केंद्र की सरकार जनता की नहीं बल्कि अमीरों की सरकार है। हिंदू मुस्लिम के नाम पर देश को बांटा जा रहा है। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने कहा है कि हम 50 साल तक देश पर राज करेंगे। यह लोकतंत्र की भाषा नहीं बल्कि राजतंत्र की भाषा है। यह नहीं चलेगा।

दीपंकर ने नरेंद्र मोदी की तुलना हिटलर से की और कहा कि अब गुजरात की बात नहीं कर रहे हैं, लेकिन गुजरात को हमें याद रखना होगा जैसे हिटलर को हम याद करते हैं।

माले के विधायक संदीप सौरव ने कहा कि केंद्र की भाजपा सरकार हम लोगों का विकास नहीं चाहती। वह सिर्फ अडानी और अंबानी का विकास करने में लगी हुई है। युवाओं को रोजगार नहीं मिल रहे हैं और पढ़े-लिखे युवाओं की बहुत खराब हालत पूरे देश में है। हत्यारों को सरकार बाहर निकाल रही है और संघर्ष करने वालों को जेल में डाल रही है।
माले के विधायक मनोज मंजिल ने कहा कि बुलडोजर सरकार नहीं चलेगी। बिहार में प्रश्न पत्र लीक नहीं चलेगा। बिहार लोक सेवा आयोग हो या फिर बिहार कर्मचारी चयन आयोग सब जगह प्रश्न पत्र लीक हो जा रहे हैं और युवाओं को काफी परेशानी झेलनी पड़ रही है।
शशि यादव ने कहा कि बिहार सरकार ने अपने घोषणा पत्र में आशा कार्यकर्ताओं सहित तमाम संविदा कर्मियों के लिए जो वादा किया था उस सभी को जल्द से जल्द पूरा करें। सभी की नौकरी स्थाई हो और मानदेय बढ़ाया जाए, नहीं तो हम सरकार को ताकत बता देंगे।
माले पोलित ब्यूरो के सदस्य धीरेंद्र झा ने कहा कि जो जमीन सरकारी है वह जमीन हमारी है। केंद्र सरकार जन विरोधी सरकार है और उसे 2024 में उखाड़ फेंकना है।
मीना तिवारी ने कहा कि केंद्र की भाजपा सरकार की मनुवादी नीति नहीं चलने दी जाएगी महिलाओं के अधिकारों का लगातार हनन हो रहा है। इसे महिलाएं बर्दाश्त नहीं करेंगी।


युवा, महिलाएं और बच्चे भी नजर आए

माले की रैली में बड़ी संख्या में महिलाएं भी दिखीं। कई महिलाओं के साथ छोटे-छोटे दुधमुंहे बच्चे भी नजर आए। बड़ी संख्या में युवा भी शामिल हुए। लोग अपने साथ चूड़ा, सत्तू आदि पोटरियों में बांध कर लाए थे। पानी का बोतल तक साथ में लाए थे। हालांकि लोगों के रात में रहने का इंतजाम भी गांधी मैदान में टेंट लगाकर किया गया था। लोग उसमें ठहरे भी।

दीपंकर ने गाड़ी रोक दी

रैली के बाद माले के राष्ट्रीय महासचिव दीपंकर भट्टाचार्य अपनी कार पर बैठ कर जाने लगे। पीछे की तरफ माले के राज्य सचिव कुणाल बैठे। तभी एक बच्चा डफली लेकर पहुंच गया और दीपंकर से पैसे की मांग करने लगा। बच्चा घुमक्कड़ परिवार का था जो अक्सर डफली बजाकर लोगों से पैसे मांगता है।

लड़के ने जब दीपंकर से पैसे की मांग की तो पुलिस वाले उसे हटाने पहुंच गए। हटाने भी लगे। तभी दीपंकर ने पुलिस वालों को रोका। साथ बैठे राज्य सचिव कुणाल से रुपए मांगे और बच्चे को दिया। उसके बाद गाड़ी आगे बढ़ी।

कल से अधिवेशन

माले की रैली में धीरेंद्र झा, प्रभात कुमार चौधरी, कृष्ण देव यादव, महबूब आलम, सत्यदेव राम, मंजू प्रकाश, राज्य सचिव कुणाल, वीरेंद्र प्रसाद गुप्ता,सत्यदेव राम, विनोद सिंह, हलधर महतो, मीना तिवारी, माले विधायक दल के नेता महबूब आलम, राजा राम सिंह, ईश्वर पोखरेल, कृष्ण देव यादव सहित कई नेताओं की उपस्थिति खास रही। 16 फरवरी से माले का महाधिवेशन शुरू हो रहा है। यह 20 फरवरी तक चलेगा। यह पार्टी का ग्यारहवां महाधिवेशन है। मेजबानी बिहार कर रहा है। 10वां महाधिवेशन पंजाब के मानसा में हुआ था।