बोकारो (झारखण्ड)  | बोकारो जिला अंतर्गत  रविवार को बेरमो थानांतर्गत ढोरी बस्ती, वार्ड 18 के रेहवा घाट मुहल्ले में बाल अधिकार कार्यकर्ता सह मनोवैज्ञानिक डॉ प्रभाकर कुमार के द्वारा बाल अधिकार सरंक्षण जागरूकता अभियान चलायी गयी। अभियान के द्वारा बच्चों के साथ-साथ उनके माता-पिता व अभिभावकों को भी जागरूक किया गया। शुरुआत मास्क वितरित कर की गई। मौके पर डॉ प्रभाकर ने कानून के रूप में बच्चों व बाल अधिकारों को परिभाषित करते हुए बतलाया कि बच्चों के साथ शारीरिक, मानसिक, यौनिक या भावनात्मक स्तर पर किया जाने वाला दुर्व्यवहार बाल दुर्व्यवहार कहलाता है। 
बाल यौन शोषण का दायरा केवल दुष्कर्म/ बलात्कार या गंभीर यौन आघात तक ही नहीं, बल्कि बच्चों को इरादतन यौनिक कृत्य दिखाना, अनुचित कामुक बातें करना, गलत तरीके से छूना, जबरन यौन कृत्य के लिये मजबूर करना, भोलेपन का फायदा उठाने हेतु चॉकलेट पैसे आदि का प्रलोभन देना, चाइल्ड पोनोग्राफी बनाना आदि बाल यौन शोषण के अंतर्गत आते हैं। उन्होंने कहा कि अक्सर आस- पास के रिश्तेदार, मित्र व पड़ोसी इन हरकतों को अंजाम देने वाले होते हैं। श्री कुमार ने आगे बतलाया कि बाल यौन शोषण एक जघन्य कृत्य है। बाल यौन शोषण एवं दुर्व्यवहार के खिलाफ सबसे प्रमुख एवं कठोर कानून 2012 मे पारित यौन अपराध के खिलाफ बच्चों का सरंक्षण कानून (पॉक्सो) है। इसमें अपराधों को चिन्हित कर उनके लिये सख्त सजा निर्धारित की गई है। त्वरित सुनवाई हेतु स्पेशल कोर्ट का भी प्रावधान किया गया है। यह कानून बाल यौन शोषण के इरादों को भी अपराध के रूप में चिन्हित करता है तथा ऐसे किसी अपराध के संदर्भ में पुलिस, मीडिया एवं डॉक्टर को भी दिशानिर्देश देता है। बाल दुर्व्यवहार के प्रति सजगता एवं जागरूकता जरूरी है। घर परिवार, माता पिता एवं परिजन बच्चों से मिलनेवाले एवं उनके साथ खेलनेवालों के प्रति सजग रहें वहीं बच्चों को भी असामान्य व्यवहार के प्रति सजग रहने हेतु प्रेरित करने की जरूरत है। अंत में बच्चों को विषय वस्तु से सबंधित प्रश्न पूछकर उन्हें पुरस्कृत किया गया।  मौके पर समाज सेवी श्याम कुँवर भारती, ऋषभ कुमार, पीयूष पल्लव, करण कुमार, अभिषेक कुमार, कपिल अख्तर, शिव लाल रविदास, संतोष रविदास आदि उपस्थित थे।