म्युजिक सुनकर पैर का थिरकना औऱ अभाव के बीच जिद ने कलाकार बना दिया ये कहना है करीब 300 एल्बम में काम कर चुकी अमरौतिन घृतलहरे का । संभावना डॉट कॉम से बातचीत में बताती है कि - बचपन से ही मुझे म्युजिक डांस एक्टिंग के प्रति बहुत लगाव है बचपन से ही म्युजिक सुनते ही मेरे हाथ पैर थिरकने लगते थे पहले मेरे घर टीवी, डीवीडी, डेक कुछ भी नहीं था । मैं अपने गांव नवापारा में पली बढ़ी हुं गांव में ज्यादातर लोग अपने घर डेक बाक्स लगाके गाना चलाते हैं एक दिन मैं दुसरे के घर साउंड बज रहा था .बॉलीवुड सांग से मिला मंच- जिसमें बालीवुड फिल्म का गाना चल रहा था "सरारा सरारा मैं हूं एक सरारा" फिर मैं डांस करने लगी उस गाने का डांस स्टेप देखी हुई थी टीवी में देखी तो उस गाना का डांस स्टेप पे डांस करने लगी उसे छुपकर भईया और पारा पड़ोस के भईया सब देख रहे फिर सबको मेरा डांस पसंद आया और ताली बजाने लगे इतनी छोटी सी है सेम डांस स्टेप्स कर रही है । भाईयों का मिला साथ- भईया लोग बोले और आज न्यु ईयर है जिसमें डांस कंपीटिशन रखा गया है । उसमें इसका नाम लिखवाते हैं करके मेरा नाम लिखवाये और मुझे पुछे मंच में सेम अभी जो कर रही थी वैसे डांस कर लोगी ना डरोगी तो नहीं करके पुछे तो मैं रेडी हो गई बट मुझे कुछ नहीं पता था डांस प्रतियोगिता का मतलब ना न्यु ईयर का मतलब मैं बस डांस करूंगी सबलोग देखने आएंगे करके खुश थी भईया लोग मेरी दीदी के पास मुझे छोड़े इसे अच्छे से तैयार करो डांस कंपीटिशन करवाएंगे तो दीदी और भाभी दोनों अच्छे से तैयार किए फिर मंच में डांस की तो गांव वालो को भी पसंद आया तो मुझे सबलोग मंच मे ही अपने गोद में उठा लेते थे एक के बाद एक सब पा लेते थे बहुत छोटी सी थी लगभग तीन चार साल की रही होगी . दर्शकों से मिला स्नेह - इस तरह मुझे मेरे दर्शक ने मुझे आशीर्वाद प्यार दिए मेरा हौसला बढ़ाए मैं बहुत से प्रतियोगिता में भाग ली बहुत सारा ईनाम भी जीती और एक दीन मैं जिला स्तर डांस प्रतियोगिता में वीनर बनी तब मैं बड़ी हो चुकी थी और बहुत सारा आफर भी आने लगा था लेकिन मैं उस टाईम पढ़ाई कर रही थी तो नहीं की और अपना सपना संजोए रखती थी की एक दीन एक्टेॄस बनुंगी करके यही सपना था लेकिन कभी कभी दुख भी होता था की हमारे छत्तीसगढ़ी भाषा का फिल्म क्यु नहीं बनता है. "मोर छईहा भुईयां" से बढ़ा हौसला- फिर जब छत्तीसगढ़ी फिल्म "मोर छईहा भुईयां" आया तब मेरा हौसला बुलंद हो गया मानो सपना पुरा करने का कला के प्रति लगाव आंखों ने जो सपना संजोए रखा उसे पुरा करने का रास्ता दिखा मैं अपना बहुत कुछ छोड़कर रायपुर आयी छईहा भुईयां मुवी ही मेरा सपना पुरा करने का रास्ता दिखाया तब से मैं सतीश जैन सर को अपना आदर्श मानती हूं भले सर से कभी मिली नहीं थी ना जानती थी ना कोई कांन्टे्क्ट था बस आदर्श मानी थी और आज भी मानती हुं और सपना पुरा करने अपना बहुत कुछ पिछे छोड़कर रायपुर आ गयी . निर्देशक तिलक राजा ने दिया ब्रेक - कुछ दिन बाद एक एलबम के लिए हिरोइन खोज रहे थे डायरेक्टर तिलक राजा सर तो विजय धुॗव भाई जो कलाकार हैं उनको बोले थे हीरोईन चाहिए दुकालू यादव जी का जस गीत के लिए कोई है तो बताओ करके उसी टाईम विजय भाई से मेरी पहचान हुई थी तो विजय भाई मेरा फोटो भेजे काम देखा हुं सर बोले फिर तिलक सर मुझे सेलेक्ट कर लिए मेरा पहला एलबम "जाबो जी भद्रकाली मैय्या के अंगना" रहा जिसमें मेरे को एक्टर राम यादव जी थे और पहला फिल्म जब मिला मुझे तो एड सुट के लिए एक्टर कीस कुर्रे जी के साथ जा रही थी रास्ते में स्याम टाॅकिज के पास डायरेक्टर मधुकर कदम सर मिले जो किस जी के पहचान के थे फिर सर मुझे देखे तो पुछे ए कोन है लुक अच्छा है इसका ए क्या करती है करके तो कीस जी बताए सर एक्टेॄस है एड सुट में जा रही है तो सर बोले मैं अभी फिल्म बनाने वाला हुं कल आना लेकर मिटिंग करते हैं दुसरे दिन सर से मिली तो सर मुझे स्क्रीप्ट दिए डायलाॅग बोलकर दिखाओ अपने तरीके से तो मैं दो तीन प्रकार से इस डायलाॅग को कर सकते करके डायलाॅग के साथ अभिनय करके दिखाई सर खुश हो गये और मुझे फिल्म में लीड रोल के लिए साइन कीए इस प्रकार मेरा पहला फिल्म "आ जा झपा जा" कॉमेडी फिल्म है जो अभी रीलीज नहीं हुवा है और एल्बम तो सदाबहार है करती रहती हुं । जिसमें से एक "गाड़ी वाला आया घर से कचरा निकाल" को छॉलीवुड स्टारडम सिने अवार्ड द्वारा बेस्ट पापुलर सांग आफ द ईयर 2018-19 का अवार्ड मिला है और आगे जो प्रोजेक्ट मुझे पसंद आएगा उसे जरुर करूंगी।
साक्षात्कार
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