शीतल साहू द्वारा स्वरचित कविता "मेरा एक सवाल क्या यही है, भारत ? "

धर्म जाति सब है असमान
फिर भी भारत देश है महान
धर्मो पर है भीड़ बड़ा,
युवाओं में है हुंकार मचा
जाति पर है लड़ पड़े
अपनों के है नजर में गिर पड़े
अव्यवस्थाओं में जी रहा जहान
क्या यही है हमारा भारत महान।।

हिंदू मुस्लिम सिख ईसाई
कहते हैं हम आपस में भाई भाई,
फिर क्यों चिंगारी है आग बनी
फिर क्यों अपनों में मार -धार चली
क्यों बहा नदियों से खून की धारा
क्यों बटा नहीं यहां भाईचारा,
दुश्मनों की तरह जी रहा है जहान
क्या यही है हमारा भारत देश महान।।


आतंकवाद से बढ़ गई है लड़ाई
युद्धों में चल रहा है बमों की बढ़ाई
हो रहा है हर देश ध्वस्त,
क्या ऐसा ही होगा देशों का मार्ग प्रशस्त
कब तक चलता रहेगा देश जहान
क्या यही है हमारा भारत देश महान।।


कुछ युवा नशे में पड़े
कुछ में से सरहद पर खड़े
बेटियों को कहते थे कुल नाशी
आज वह बेटी सरहद पर खड़ी
छोड़ो बेटियों का भेद यहां
क्या बेटे से ही होगा रोशन जहान
क्या यही है हमारा भारत देश महान।।

जहां आजादी के लिए बलिदान हुआ
जहां वीरों का अपमान हुआ
लड़ते रहे आजादी की लड़ाई,
सहते रहे अंग्रेजों से कठिनाई
जहां जलियांवाला कांड हुआ
जहां जीवन भी बलिदान हुआ,
क्या यही चलेगी रीत यहां
क्या यही है हमारा भारत देश महान।।

कविता लेखन में रूचि रखने वाली शीतल साहू ने शुरुआत की अपनी भावनाओं को अपने कविता में पिरोने की. 21 वर्षीय शीतल साहू ग्राम देवपुरा, गंडई। उनकी लिखी यह कविता भारत के वर्तमान व्यवस्था एवं मानसिकता के भाव को दर्शाती है। शीतल ने वर्ष 2023 में बी. ए. में अंडर ग्रेजुएशन पूरा किया। 12वीं के बाद से उन्होंने कविता लेखन शुरू किया था। कविता लेखन के साथ-साथ में पढ़ाई सिलाई एवं होम बिजनेस के माध्यम से परिवार को आर्थिक मदद भी करती है।

भारत में तमाम ऐसे कलाकार हैं जो शुरुआत तो करते हैं अपने रुचि को अपना प्रोफेशन बनाने की लेकिन उनको मंच नहीं मिल पाता या सही मार्गदर्शन नहीं मिल पाती। संभावना की तरफ से यह एक छोटी सी प्रयास है, कला और कलाकारी को लोगों के सामने लाने की और कलाकारों को मंच प्रदान करने की।