अध्यक्ष विनय कुमार कश्यप जिला विधिक सेवा प्राधिकरण राजनांदगांव के निर्देशानुसार और अध्यक्ष चन्द्र कुमार कश्यप और सचिव देवाशीष ठाकुर के मार्गदर्शन में दिनांक 23.05.202 को अमलीडीह खुर्द में विशेष कानूनी जागरूकता शिविर का आयोजन किया गया जहां उपस्थित वृद्धजनों

 महिलाओं ,पुरुषों को संबोधित करते हुए सर्वप्रथम माता-पिता और वरिष्ठ नागरिकों का भरण-पोषण तथा कल्याण अधिनियम 2007 के संबंध में पैरालीगल वालंटियर  

 गोलूदास द्वारा बताया कि

वृद्ध व्यक्तियों की देखरेख और सुरक्षा के उद्देश्य से माता-पिता और वरिष्ठ नागरिकों का भरण-पोषण तथा कल्याण अधिनियम 2007 बनाया गया है। कोई भी वरिष्ठ नागरिक, जिसकी आयु 60 वर्ष या उससे अधिक है, इसमें वे माता-पिता भी आते हैं, जो खुद कमाने में असमर्थ हैं, वे अपने बालिग बेटा, बेटी, पौत्र, पौत्री से भरण-पोषण खर्च पाने की पात्रता रखते हैं।

 भारत सरकार का एक अधिनियम है जो वृद्ध व्यक्तियों एवं माता-पिता के भरण-पोषण एवं देखरेख का एक प्रभावी व्यवस्था करती है। इसका विधेयक सामाजिक न्याय एवं सशक्तीकरण मंत्रालय द्वारा लाया गया था। जिसके अंतर्गत निम्नलिखित बातें आती है

1. कोई वरिष्ठ नागरिक जिसकी आयु 60 वर्ष अथवा उससे ज्यादा है इसके अंतर्गत माता-पिता भी आते हैं जो स्वयं आयोजित करने में असमर्थ अथवा उनके स्वामित्व आधी संपत्ति में से स्वयं का भरण पोषण करने में असमर्थ है ऐसे व्यक्ति अधिनियम के अंतर्गत भरण पोषण हेतु आवेदन करने हेतु हकदार हैं 

2. भरण पोषण का आवेदन वरिष्ठ नागरिक माता पिता अपने क्षेत्र के अनुविभागीय अधिकारी राजस्व के समक्ष पेश कर सकते हैं न्यायालय का विधिक दायित्व है कि वह आवेदन की सुनवाई कर उसका निराकरण करें 

3. वरिष्ठ नागरिक माता-पिता को भरण-पोषण खर्च पाने का पात्रता आय अर्जित करने वाले व्यस्त पुत्र पुत्री पुत्री से प्राप्त करने का अधिकार है 

4. अनुविभागीय अधिकारी राजस्व न्यायालय द्वारा अधिकतम 10000 प्रति मास का भरण पोषण खर्च वरिष्ठ नागरिक माता-पिता को दिलाया जा सकता है 

5. संबंधित न्यायालय द्वारा आदेश की एक प्रति निशुल्क आवेदन पत्र को प्रदर्शित किए जाने का भी प्रावधान है

 

 साहू ने आगे बताया कि राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण नई दिल्ली द्वारा ’वरिष्ठ नागरिकों के लिए विधिक सेवा योजना 2016 शुरू की गई है। इस योजना का उद्देश्य वरिष्ठ नागरिकों को प्रत्येक स्तर पर विधिक सहायता, सलाह, परामर्श को सुदृढ करना, उन्हें विभिन्न विधिक प्रावधानों के लाभ प्राप्त करने में सक्षम बनाना, सरकारी योजनाओं एवं कार्यक्रमों तक पहुंच सुनिश्चित करना और पुलिस, स्वास्थ्य देखभाल प्राधिकरणों एवं जिला प्रशासन आदि के साथ सहयोग कर तुरंत स्वास्थ्य सुविधाएं एवं शारीरिक एवं सामाजिक सुरक्षा उपाय करने के लिए तरीके खोजना है।