लोग परिवार निर्माण पर चर्चा क्यों नहीं करते? जबकि सबको पता है कि परिवार संस्था बरबाद हो चुकी है और आज यह नर्क बन गया है!

आज लोग भाजपा और कांग्रेस पर चर्चा करते हैं, हिन्दू मुस्लिम पर चर्चा करते हैं, चुनाव पर चर्चा करते हैं, घटना दुर्घटना और एनकाउंटर पर चर्चा करते हैं! आतंकवाद पर चर्चा करते हैं।

लेकिन व्यक्ति के व्यक्तित्व विकास पर, परिवार के संस्कार निर्माण और स्थायित्व पर तथा समाज के उत्थान पर चर्चा नहीं करते!

जबकि वस्तुस्थिति यह है कि आज समाज समाज नहीं मालूम पड़ता, केवल एक भीड़ मालूम पड़ता है। परिवार परिवार नहीं लगता, होटल जैसा मालूम पड़ता है। मां कीचन लगती है, बाप एटीएम मशीन लगता है!

तब हमारे जैसे कुछ बेकार लोग माथा खपाने में लगे रहते हैं!

आपको लगता है कि परिवार एक महत्त्वपूर्ण संस्था है, जहां से नर रत्न निकलते हैं?

लोगों की इस संबंध में अभिरुचि न होना क्या सिद्ध करता है?