ख़ैरागढ़ | नियमों को दरकिनार कर एरियर्स भुगतान में कमिशनखोरी की चर्चाओं पर शिक्षा विभाग मौन। ईमानदारी का ढिंढोरा पीटने वाली शिक्षा विभाग के अधिकारियों की संलिप्तता का चलते सारा मामला ठंडे बस्ते में जाता नज़र आ रहा है। सूत्रों की माने तो एरियर्स के नाम पर लगभग 30 लाख रूपए से अधिक का लेन देन हुआ है। हालांकि पदोन्नति में हुए बदनामी से सबक लेते हुए विभाग के बाबुओं को इस बार गणना से लेकर तमाम प्रक्रिया से अलग रखा गया था। और समस्त कार्य चुनिंदा शिक्षकों को सौंपा गया था। एक कमिटी भी बनाई गई जिसके चलते वसूली कार्य में भी पूरी तरह सावधानी बरती गई ।

गौर करने वाली बात है एरियर्स राशि का भुगतान समय रहते ना होने पर लेप्स होने भय दिखा कर और गणना में गड़बड़ी की आशंका के चलते शिक्षक भी बिना किसी सवाल के चुपचाप कमीशन राशि का भुगतान करते हैं। दबी ज़बान से शिक्षकों का कहना है कि चूंकि एरियर्स प्राप्त करने वाले सभी शिक्षक 10 से 15 प्रतिशत कमीशन दे रहे हैं। इसलिए उन्होंने भी दे दिया है।

 

मामला पदोन्नति एवं पदांकन का हो या एरियर्स का हो या प्रोविडेन्ट फण्ड का हो चाहे काउंसलिंग में मन मुताबिक स्थान देने । हर बार शिक्षक कमीशन खोरी के शिकार बनते है। दुर्भाग्य है कि शिक्षको को अपने ही विभागीय कर्मचारियों के इन कृत्यों का सामना करना पड़ता है।

संभावना डॉट कॉम की संभावना

कितना सच और कितना झूठ है
विकास खंड शिक्षा अधिकारी कार्यालय खैरागढ़ और छुईखदान हमेशा से रहा है, विवादित
जब भी एरियस का नाम आता है, तब- तब होता है अवैध वसूली का खेल
शुरू होता है,
जानिए कैसे-
(1) लोकल ऑडिट का बहाना बनाकर बाबू करते हैं वसूली, ऑडिट कराना होगा, नहीं तो आपका एरियस राशि हो जायेगा लेप्स
मज़बूरी मे शिक्षक देते है 15%
(2) अब की बार लोकल ऑडिट ना होने पर लिया गया शपथ पत्र
मतलब अगर शासन वसूली करें तो
शिक्षको पर दोहरी मार कमीशन भी दो और आयकर भी पटाओ
(3) अधिकारी जानते है कुछ नहीं होगा
क्योंकि वो दे रहे तो हम ले रहे हैं
क़ानून मे दोनों को सजा का प्रावधान
लेने वाले से ज्यादा देने वाली की गलती
खबर तो यह भी है
एरियस मे वसूली का खेल सालो पुराना है
कई लोगो को एक से अधिक बार मिल चुका है एरियस
शुरुआत से वर्तमान तक यदि शासन एरियर्स राशि का ऑडिट कराती है तो हो सकता है
शासन को करोड़ों रुपये का नुकसान?