मोदी जी और बाकी नेता बतायें कि 9 साल में ओबीसी के लिए क्या किया?

खैरागढ़ | ओबीसी का बिना कुछ भला किये ही प्रोपेगैंडा करके देश के नेता, राजनीतिक लाभ लेना चाहते हैं। ये नेता बताएं कि कितने ओबीसी, देश का पैसा खाकर विदेश भाग गए? जिससे ओबीसी का अपमान हुआ! जबकि सही तो यह होगा कि तमाम ओबीसी मोर्चा के लोग राष्ट्रीय जनगणना में आर्थिक और जाति जनगणना कराएं, जिसके पता चलेगा कि किसका हिस्सा, कहाँ जा रहा है? अभी हाल ही में राहुल गांधी के बयान और मुद्दा-विहीन भाजपा के उसको लपकने पर स्वतंत्र नेता और जिला पंचायत के सभापति विप्लव साहू ने कटाक्ष करते हुए अपनी तीखी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि यह नूराकुश्ती ही है, जिसे पिछड़ों का अपमान प्रचारित कर पिछड़ों का वोट बैंक हथियाने के लिए जनता को मूर्ख बनाने की कोशिश है। जिला भाजपा खैरागढ़-छुईखदान-गंडई के नेता लोग पिछड़ा वर्ग का अपमान बता रहे हैं, यह बहुत हास्यास्पद है। इन नेताओं को बताना चाहिए की वे खुद ओबीसी के लिए क्या संघर्ष किये हैं? पीएम मोदी जी खुद को ओबीसी कहते हैं तो बताएं कि सत्ता के 9 सालों में उन्होंने ओबीसी के लिए क्या किया? राष्ट्रीय स्तर पर हमारे उत्थान और मजबूती के लिए क्या डिजाइन हुआ? देश के ओबीसी मोर्चा के सभी नेताओ में जरा भी सम्मान बचा हो तो हिस्सेदारी के लिए आंदोलन चलाए और सभी स्तरों पर प्रशासनिक भागीदारी के लिए पीएम और ओबीसी आयोग को ज्ञापन दें।

भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश है, जिसकी चर्चा और प्रशंसा सारी दुनिया में होती है। राहुल गांधी के ब्रिटेन में दिए गए बयान से भारत का कोई अपमान नही हुआ। आज जब दुनिया एक बड़े गांव में सिमट आई है, विश्व के बड़े महानगर की घटना पल भर में जब सारी दुनिया को मिलती है, सब एक दूसरे से प्रभावित होते हैं तो लोकतंत्र किसी देश का आंतरिक मसला नहीं हो सकता। जयप्रकाश नारायण ने कहा था लोकतंत्र किसी देश का लोकतंत्र, दुनिया का मसला होता है। उसका दमन, सारे संसार की चिंता का विषय होना चाहिए। बिल्कुल भी सही है कि हाल के 6-8 सालों में लोकतंत्र का गहरा दमन हुआ है। हम इस बात से काम नहीं चला सकते कि इंदिरा गांधी ने 1970 में क्या किया! दुनिया लगातार सुदृढ़ हो रही है, सुधार हो रहा है तो हमारे लोकतंत्र में भी मजबूती से सुधार होना पड़ेगा। अंग्रेजों से लड़ाई के वक्त महात्मा गांधी ने एक अमेरिकन पत्रकार को कहा था मैं सत्ता की अंदरूनी लड़ाई और जनता के अधिकार की लड़ाई में दुनिया की सहानुभूति चाहता हूं, तो आज लोकतंत्र की बात किसी देश का अंदरूनी मामला नही हो सकता!