खैरागढ़ ,साल्हेवारा घाटी | अविभाजित जिला किसान संघ की किसान पंचायत की बैठक आयोजित हुई, जिसमें संघ के संयोजक सुदेश टीकम, जिला पंचायत सहकारिता सभापति विप्लव साहू, एड. एस आर वर्मा, रमाकांत बंजारे, हरिश्चंद्र साहू, कलेश्वर यादव और कार्यक्रम संयोजक साधुराम धुर्वे के साथ आसपास के दसियों गांव के दर्जनों किसान साथी मौजूद थे। जिसमें आने वाले विधानसभा चुनाव में राजनीतिक दलों के ऊपर कैसे कृषि-नीति को लेकर दबाव बनाया जा सकता है, रणनीति पर चर्चा हुई, ताकि देश का पेट भरने वाले किसान को उसका वाजिब हक मिल सके। किसान संघ में बात रखी गई कि हाल ही 8-10 सालों से ही किसान का मुद्दा चुनाव और राजनीति के केंद्र में आया है, और इस दबाव को हमें बरकरार रखना है। प्रकृति के हर वार और दबाव को सिर्फ किसान और निम्न तबका ही झेलता है। जब गैर कृषि सामान और अन्य उत्पादन की कीमतों को उत्पादित कंपनियां तय करती है तो अपने उत्पादन की कीमत को किसान ही क्यों नही तय कर सकता है! आजाद भारत में कुछ-कुछ सरकारों ने ही राजनीति के केंद्र में किसानों को रखा, और किसानी पर बात की है। पिछले चुनाव में किसान और धान का मुद्दा अहम था और उसके कारण ही एक विशेष पार्टी सत्ता में आई थी तो आने वाले चुनाव में भी और उससे जुड़े हुए हित के मुद्दे चुनाव के केंद्र में रहे, इस हेतु रणनीतिक तैयारियां की जा रही है। धान की कीमत 4 हजार के पार होनी चाहिए, साथ ही खरीफ और रबी की फसलों को न्यूनतम समर्थन मूल्य शासन द्वारा निर्धारित और खरीदी अनिवार्य किया जाना चाहिए। वनोंपज की कीमत बढ़ाई जानी चाहिए जिसमें तेंदूपत्ता की कीमत 8 हजार होनी चाहिए। किसान संघ द्वारा साथ ही किसान-ऐलान यात्रा आरंभ करने की बात कही गई जिसमे एक गांव के किसान दूसरे गांव जाकर घर-घर मांग पत्र चस्पा करने की योजना बनाई गई।
प्रदेश भर से अलग-अलग जिलों से किसान संघ द्वारा किसानों द्वारा सुझाव और समर्थन मांगा जा रहा है, इस हेतु खैरागढ़-छुईखदान-गंडई से जिले के साल्हेवारा से आगाज हुआ, जिसमें साल्हेवारा, देवपुरा, रेंगाखार, नचनिया, खादी, रामपुर, आदि गांव से दर्जनों की संख्या में पुरुष और महिलाएं शामिल रही और अपनी अपनी बात रखी।